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गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम | कबीर के दोहे की व्याख्या हिंदी अर्थ सहित

गुरु को कीजै दण्डवत कोटि कोटि परनाम । 
कीट न जाने भृंग को, गुरु कर ले आप समान ॥ 


गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम | कबीर के दोहे की व्याख्या हिंदी अर्थ सहित -


 guru ko keejai dandavat koti koti paranaam . keet na jaane bhrng ko, guru kar le aap samaan .


गुरु को कीजै दण्डवत कोटि कोटि परनाम ।
कीट न जाने भृंग को, गुरु कर ले आप समान ॥


हिन्दी अनुवाद :- गुरुदेव को दण्डवत एवं करोड़ों बार प्रणाम करो। कीड़ा भृंगी के महत्व को नहीं जानता, लेकिन भृंगी कीड़े को अपने सदृश बना लेती है, ठीक इसी प्रकार शिष्य को गुरु अपने सदृश बना लेते हैं। 


गुरु को कीजै दण्डवत कोटि कोटि परनाम।


कठिन शब्दार्थं 🔰🔰


शब्द

अर्थ                  

कोटि कोटि

करोड़ों करोड़ों

परनाम

प्रणाम

कीट

कीड़ा

भृंग

भृंगी


कबीर जी के प्रसीद्ध दोहे पढ़ें 🔰🔰 हिन्दी अर्थं एव कठिन शब्दार्थं के साथ -





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