गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम | कबीर के दोहे की व्याख्या हिंदी अर्थ सहित
शनिवार, 30 अप्रैल 2022
गुरु को कीजै दण्डवत कोटि कोटि परनाम ।
कीट न जाने भृंग को, गुरु कर ले आप समान ॥
गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम | कबीर के दोहे की व्याख्या हिंदी अर्थ सहित -
गुरु को कीजै दण्डवत कोटि कोटि परनाम ।कीट न जाने भृंग को, गुरु कर ले आप समान ॥
हिन्दी अनुवाद :- गुरुदेव को दण्डवत एवं करोड़ों बार प्रणाम करो। कीड़ा भृंगी के महत्व को नहीं जानता, लेकिन भृंगी कीड़े को अपने सदृश बना लेती है, ठीक इसी प्रकार शिष्य को गुरु अपने सदृश बना लेते हैं।
गुरु को कीजै दण्डवत कोटि कोटि परनाम।
कठिन शब्दार्थं 🔰🔰
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