History of Kalbi Samaj: कलबी समाज (जाति) का इतिहास - Latest Mahiti

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History of Kalbi Samaj: कलबी समाज (जाति) का इतिहास


कलबी समाज (जाति) का इतिहास:- 

कलबी के इतिहास का महत्व,कलबी मुल क्षत्रिय जाति, कलबी जाति,कलबी शब्द का अर्थ, ऑंजणा कलबी समाज, कलबी समाज की गोत्र,हुणों का कलबियों में मिलना,कलबियों में अग्नि वंशी क्षत्रियो के होने का प्रमाण,कलबियों का प्रवासी भुतकाल,कलबियों के भेद

कलबी समाज के बारे में A to Z जानकारी पाने के लिए जुड़े रहिए इस  Fabulous Article के साथ--

कलबी चौधरी पटेल आंजना समाज का इतिहास
कलबी समाज का इतिहास

कलबी शब्द की उत्पत्ति का इतिहास

"कलबी" एक व्यवसायिक आस्पद है। यह कुळबी शब्द का अपभ्रंश हैं। इसका लम्बा इतिहास है। ताम्र युग के पश्चात त्रेता युग तक भारत के उत्तरी खण्ड में कई वर्षों तक शान्ति बनी रही। 

त्रेता युग में भारत के आर्यों को लंका के अनार्यो के साथ युद्ध करना पड़ा था जिसका विवरण रामायण में मिलता है । त्रे युग के लगभग 500 वर्षो पश्चात द्वापर युग में आर्यों के आपस में महाभारत हुआ था जिसका विवरण महाभारत में मिलता है उस महाभारत में विश्व के सभी अन्य देशों के राजाओं ने भाग लिया था जिसका पता महाकाव्य 'महाभारत' मैं सीथियनों,  यूनानियों, बैक्ट्रियनों और हूंणों के उल्लेख से लगता है। द्वापर युग के पश्चात लगभग 400 से 500 वर्षों तक फिर शांति का युग रहा। इस शांति युग में भारत के चंद्रवंशी,  सूर्यवंशी, हैह्मवंशी,यदुवंशी नागवंशी व अन्य आर्य क्षत्रियों ने सिंधुघाटी उसके आसपास के उपजाऊ प्रदेशों में कृषि कर्म कर समृद्धि प्राप्त की। आर्य क्षत्रियों  द्वारा उक्त प्रकार कृषि कर्म करने के कारण उनको "कृषक-क्षत्रियों" की संज्ञा से जाना जाने लगा।

"कृषक-क्षत्रियों" का यह नाम जनपद युग (विक्रम संवत से लगभग 1000 से 700 वर्ष पूर्व) तक बना रहा । जनपद युग में उनका "कृृषक-क्षत्रिय" की बजाए हल से काम करने के कारण "हली" क्षत्रिय कहां जाने लगा।

कलबी समाज समाज के महान संत राजारामजी महाराज

हली क्षत्रिय कहलाने के दौरान जब विक्रम संवत के 503 वर्ष पूर्व भारत पर इरानी व फारसी आक्रमण हुए तब फारसी भाषा के कुछ शब्द भारतीय भाषाओं ने ग्रहण कर लिए और कुछ भारतीय भाषाओं के शब्द फारसी भाषा ने अपना लिये । उन शब्दों में से एक फारसी भाषा का शब्द "कुळबा" भी है जिसका पर्याय भारतीय भाषा में 'हल' होता है यानी खेती करने के जिस उपकरण को भारत की भाषा में "हल" कहा जाता हैं। उनको फारसी भाषा में "कुकबा" कहा जाता है । जिस प्रकार भारतीय भाषाओं में "हल" से काम करने वाले को "हली" कहा जाता है उसी प्रकार फारसी भाषा में "कुळबा" से काम करने वालों को  "कुळबी" कहा जाता हैं। जनपद युग में जिस समय भारतीय भाषा में "हल" से काम करने वालों को "हली" का जाता था पर जब भारतीय भाषा पर फारसी भाषा का प्रभाव अधिक बढ़ गया तब लोग "हल"  से काम करने वाले को "हली" कहने की बजाय फारसी भाषा के प्रभाव से "कुळबी" कहना आरंभ कर दिया उक्त प्रकार जनपद युग में "कुलबी" व्यवसायिक शब्द की उत्पत्ति हो गई जो आगे चलकर वर्तमान तक पहुंचते-पहुंचते "कुलबी" जातिवाचक शब्द बनकर रह गया ।

आगे चलकर कलबी जाति मे हुंणो का सम्मेलन हो गया जिससे कलबी जाति अनेक खण्डों में विभाजन हो गई । इनकी प्रमुख अलग अलग शाखाएं हैं। जिनमें से मख्यत: ऑंजणा कलबी समाज जो वर्तमान में लोकप्रिय सुप्रसिद्ध जाति है इसके बारे में जानने के लिए ऑंजणा शब्द का अर्थ पर क्लिंक करें 

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कलबियों की उत्पत्ति का इतिहास: History of the origin of the kalbis

कलबियों का इतिहास


'कलबी' शब्द को साधारण भाषा में जातिवाचक शब्द मानकर कई ऐतिहासिक ग्रंथों व लेखों में अनेक स्थानों पर उद्धृत किया गया है। यह कलबी शब्द फारसी भाषा के कुळबी शब्द का अपभ्रंश है। गुण-कर्म की दृष्टि से कलबी शब्द में बहुत बड़े जनसमूह को सम्मिलित गिना जाता है जिनका मुख्य धंधा कृषि करना है। क्रमानुसार वर्गीकरण करने पर कृषि कर्म करने वाले लोगों को वैश्य वर्ण में गिना जाता है क्योंकि कृषि वेश्यों का गुण कर्म है। मनुस्मृति में कहा भी हैं, "वैश्यस्य कृषिमेव च।" कलबियों को विश्व भी वैश्य वर्ण में गिना जाता है, क्योंकि इन जाति के लोगों का मुख्य धंधा कृषि व पशुपालन है, जो वैश्य का गुण कर्म गिना जाता रहा है। आजकल कलबी कर्म व जन्म दोनों ही दृष्टिकोण से एक जाति का प्रतीक है। कलबी एक व्यवसायिक आस्पद है ।

  

विक्रम संवत के 503 वर्ष पूर्व से लेकर आज तक जहां कहां भी कलबी जाति का प्रत्यक्ष तथा परोक्ष रूप से ऐतिहासिक ग्रंथों अथवा अन्य स्रोतों में विवरण मिलता है उनमें 'कलबी' अथवा 'कलवी' अथवा 'कनवी' अथवा 'कनबी' अथवा 'कुनबी' अथवा 'कुण्डबी' अथवा 'कुलवी' अथवा 'कनबी' आदि-आदि शब्दों का प्रयोग करके उल्लेख किया गया है ।बिहार में इनका उल्लेख कुर्म्मी, कुंभी, कुर्मी,  कुलूम्बी आदि नामों से किया गया है जो कुळबी शब्द के अपभ्रंश हैं।

   कलबियों की उत्पत्ति के संबंध में अनेक स्थानों पर उल्लेख मिलता है उनमें से कुछ के उद्धरण यहां दिए गए हैं जरूर पढ़ें

  •  श्री छोटेलाल शर्मा श्रोत्रिय द्वारा लिखित जाति अन्वेषण में पृष्ठ संख्या 192 पर लिखा है:-
  •  जाति अन्वेषण के अलावा जाति भास्कर भाषा टीका संबंधित संबंध 1974 वि. पृष्ठ संख्या 204 पर भी समान रुप में कलबी जाति वाचक शब्द के विषय में निम्न प्रकार लिखा हुआ है:-
  •  कलबी शब्द का अर्थ अगर विश्व दोष देखा जाए तो उनके भाग 5 पृष्ठ संख्या 58 पर कनबी का अर्थ इस प्रकार लिखा हुआ पढ़ने में आता है:-
  •  संस्कृत में कुर्मी (कलबी) शब्द का अर्थ होता है 'जो अपने जीवन का निर्वाह अपनी कमाई से करता है ' यही दशा इसी कुर्मी जाति को उत्पन्न करने वाली है।
  •  श्री जी.ए. धूरये द्वारा लिखित ग्रंथ 'कास्ट एंड क्लास इन इंडिया' में पृष्ठ संख्या 31 पर इस प्रकार लेख हैं पढ़ने के लिए क्लिक करें
  •  उक्त भावना को 'रिपोर्ट मरदुमशुमारी राजमारवाड़ बाबत् सन् 1892 ईस्वी में पृष्ठ संख्या 107 पर कल भी शब्द की उत्पत्ति इस प्रकार बताई गई है कृपया आप पढ़ने के लिए क्लिक करें
  •  रिपोर्ट मरदुमशुमारी राजमारवाड़ बाबत् सन 1811 ईस्वी के तीसरे हिस्से के पृष्ठ संख्या 107 पर कलबी शब्द अथवा कलबी जाति की उत्पत्ति के संबंध में इस प्रकार से लिखा हुआ है कृपया पढ़ने के लिए क्लिक करें
  •  रिपोर्ट ऑन सेंसस ऑफ 1819 वॉल्यूम दो 1894 पृष्ठ 41 में कलबियों की उत्पत्ति के संबंध में अंग्रेजी भाषा में इस प्रकार उल्लेख मिलता है

      उक्त उद्धरणों से यह स्पष्ट हो जाता है कि कलबियों की उत्पत्ति क्षत्रियो से हुई है। अगर उनकी उत्पत्ति क्षत्रियों से नहीं हुई तो उनकी शाखाओं अथवा खॉंपें अथवा नख जो सोलंकी, चौहान, परमार, परिहार , चावड़ा, मकवाना, राठौड़, खींची, यादव, झाला, जेठवा, तंवर, सिसोदिया, गोयल, कभी नहीं होते ।

कलबियों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी जानने के लिए नीचे दिए गए बिंदुओं का अध्ययन करें--

  • कुलबी मूल क्षत्रिय जाति है।
  • हुणों का कलबियों में मिलना।
  • कलबियों में अग्नि वंशी क्षत्रियो के होने का प्रमाण ।
  • कुलबियों का प्रवासी भुतकाल।
  • कलबियों के भेद।

नमस्कार दोस्तों यह Article पढ़ने के लिए आपका प्रेमपुर्वक आभार व्यक्त करता हूं यदि आपको अच्छा लगे तो Comment Section में जरूर बताएं साथ ही आप सबसे नीचे जाकर सम्पर्क फार्म में Name and Email भरकर सदस्यता लें सकते हैं।




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1 Response to "History of Kalbi Samaj: कलबी समाज (जाति) का इतिहास"

  1. कलबी शब्द का इतिहास जानकर कैसा लगा कृपया अपनी राय जरुर दे

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