जैसी प्रीति कुटुम्ब की | jaisee preeti kutumb kee - Latest Mahiti

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जैसी प्रीति कुटुम्ब की | jaisee preeti kutumb kee


 जैसी प्रीति कुटुम्ब की, तैसी गुरु सों होय । kahain kabeer ta daas ka, pag na pakade koy||
जैसी प्रीति कुटुम्ब की, तैसी गुरु सों होय ।

जैसी प्रीति कुटुम्ब की, तैसी गुरु सों होय ।
कहैं कबीर ता दास का, पग न पकड़े कोय ||

भावार्थं :-जिस प्रकार व्यक्ति अपने कुटुम्बियों से प्रेम करते हैं, यदि इसी प्रकार अपने गुरु के प्रति भाव उत्पन्न हो जाये, तो फिर उस दास का क्या कहना! उसका तो सहज ही कल्याण है।


कबीरवाणी

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जैसी प्रीति कुटुम्ब की, तैसी गुरु सों होय ।


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कहैं कबीर ता दास का, पग न पकड़े कोय 



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