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टॉप 10 चर्चित कबीर दास के दोहे 2022 Top 10 Famous Dohas of Kabir Das

टॉप 10 चर्चित कबीर दास के दोहे| Top 10 couplets of kabir das

दोस्तों इस पोस्ट में आप टॉप 10 चर्चित कबीर दास के दोहे 2022 का बारें में जानेंगे जो इंसान के उन्नत बनाने के लिए काफी है कबीर दास जी ने अपना जीवन जन-कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था उन्होंने अंतिम सांस तक समाज सेवा की थीं उनके टॉप 10 चर्चित कबीर दास के दोहे जो इंसान को जीवन का अर्थ समझाते है। कबीर दास जी के दोहे अर्थ सहित लिखें हुए हैं आप चाहें तो कबीर दास के दोहे डाउनलोड भी कर सकते हैं नीचे लिंक दिया गया है।

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कबीर के दोहे


कबीर दास के 10 दोहे

बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर ।
पंथी को छाया नहीं, फल लागै अति दूर॥1॥
 
भावार्थ:- खजूर के पेड़ के समान यदि मनुष्य बहुत बड़ा हुआ तो क्या हुआ? जिस प्रकार उसमें पक्षी को छाया नहीं मिलती और फल भी लगता है, तो काफी दूर।

आंखों देखों देखा घी भला, न मुख मेला तेल |
साधु सों झगड़ा भला, ना साकट सो मेल॥2॥
भावार्थ:- घी के दर्शन मात्र अच्छे हैं, परन्तु मुख में डाला हुआ तेल अच्छा नहीं। ठीक इसी तरह सन्तों से झगड़ा अच्छा, परन्तु साकटों का मेल-मिलाप अच्छा नहीं।

कबीर दास दोहे हिंदी 

दसों  दिसा से क्रोध की, उठी  अपरबल आग। 
शीतल संगत साधु की, तहां उबरिये भाग॥ 3॥
भावार्थ:-दसों दिशाओं से क्रोध की भयंकर ज्वाला भड़क उठी है। संतों की संगत शीतल होती है, भागकर वहीं जाओ, वहीं दर निश्चित है।

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अपना तो कोई नहीं, देखा ठोकि बजाय ।
अपना अपना क्या करे, मोह करम लपटाय॥ 4॥
भावार्थ:-भली प्रकार ठोक-बजाकर देख लिया, अपना कोई नहीं है। हे मानव! भ्रमपूर्ण मोह में लिपटकर अपना-अपना क्या करता है?

कबीर दास दोहावली

धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय ।
माली सींचे सौ घड़ा, रितु आये फल होय॥5॥
भावार्थ:-ऐ मन! धीरज धारण कर। धीरे-धीरे सब कुछ हो जाता है। माली सैकड़ों घड़ा पानी सींचता है, लेकिन समयानुसार ही फल उगता है।

दीप को झोला पवन है, नर को झोला नारि ।
ज्ञानी झोला गर्व है, कहैं कबीर पुकारि॥ 6॥

भावार्थ:- कबीरदास जी कहते हैं कि दीपक को बुझाने वाली तीव्र हवा है, पुरुष को पतित करने वाली स्त्री है और ज्ञानी का सर्वतोभांति से विनाश करने वाला अहंकार है।

कबीर दास गुरु महिमा पर दोहे

मूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पांव।
मूलनाम गुरु  वचन  है, मूल  सत्य  सतभाव॥7॥

भावार्थ:- ध्यान का मूल गुरु का ही रूप है, पूजा का मूल रूप गुरु चरणों की आराधना है। मूल नाम गुरु के ही वचन हैं, मूल सत्य के साक्षात्कार के लिए सत्य की जिज्ञासा ही मूल है। 

ऊंचा देखि न रांचिये, ऊंचा पेड़ खजूर ।
पंछि न बैठे छापड़ें, फल लागे पै दूर ॥ 8॥
भावार्थ:- किसी के सांसारिक वैभव की बढ़ाई देखकर उस तरफ आकर्षित नहीं होना चाहिए। जैसे-खजूर का पेड़ ऊंचा होता है, लेकिन उसकी छाया में भली प्रकार से पक्षी के बैठने की भी जगह नहीं रहती और फल भी दूर लगता है।

कबीर दास जी के दोहे हिंदी में

मान बड़ाई न करें, बड़ा न बोले बोल।
हीरा मुख से न कहे, लाख हमारा मोल॥9॥
भावार्थ:- स्वयं अपनी मान बढ़ाई नहीं करनी चाहिए और न ही बढ़-बढ़ कर बातें करनी चाहिएं। हीरा अपने मुख से नहीं कहता कि हमारा मूल्य लाख रुपये है।

जोगी है जग जीतता, विहरत है संसार ।
एक अंदेशा रहि गया, पीछे पड़ा अहार॥ 10॥
भावार्थ:- विरक्त होकर जगत आशा को त्यागते हुए जो संसार में विचरण करता है, यदि उसे जीवन-निर्वाह होने में सन्देह है, तो अभी उसके ज्ञान की दुर्बलता है। साधु को अपने आचरण से चलना चाहिए, निर्वाह की चिन्ता न करे 

आपने इस पोस्ट में टॉप 10 चर्चित कबीर दास के दोहे के बारे में जाना है कबीर दास के बेहतरीन दोहे डाउनलोड करें।
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कबीर दास के दोहे PDF डाउनलोड



महान् कवि कबीर दास की बायोग्राफी जानने के लिए नीचे दी गई पोस्ट को को जरूर पढ़ें। 

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