सब धरती कागज करूं | sab dharatee kaagaj karoon - Latest Mahiti

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सब धरती कागज करूं | sab dharatee kaagaj karoon


सब धरती कागज करूं, लिखनी सब बन राय। सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाया॥sab dharatee kaagaj karoon, likhanee sab ban raay. saat samudr kee masi karoon, guru gun likha na jaaya.
सब धरती कागज करूंsab dharatee kaagaj karoon, likhanee sab ban raay. saat samudr kee masi karoon, guru gun likha na jaaya.1.

सब धरती कागज करूं, लिखनी सब बन राय।
सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाया॥

हिंदी अनुवाद:- पृथ्वी को कागज करूं, सब जंगल को कलम, सातों समुद्रों को स्याही बनाकर लिखने पर भी गुरु के गुण को नहीं लिखा जा सकता।

कठिन शब्दार्थ

शब्द

अर्थ                  

सब धरती

सम्पूर्ण पृथ्वी

बन 

जंगल 

लिखनी

कलम

मसि करूं

स्याही बनाकर

गुरु गुण

गुरु के गुण

और भी पढ़े

मूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पांव।

भावार्थ :- ध्यान का मूल गुरु का ही रूप है, पूजा का मूल रूप गुरु चरणों की आराधना है। मूल नाम गुरु के ही वचन हैं, मूल सत्य के साक्षात्कार के लिए सत्य की जिज्ञासा ही मूल है।

गुरु के सम्मान में दोहे

गुरु मूरति आगे खड़ी, दुतिया भेद कछु नाहिं |

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कबीरवाणी👌लेखनी सब बनराय का, अर्थ सब धरती कागद करूँ, लेखनी सब बनराय सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाय ,गुरु गुण लिखा न जाए का आशय स्पष्ट कीजिए ,यह तन विष की बेलरी , कबीर के व्यंग्यात्मक दोहे, 71 कबीर के दोहे हिंदी में अर्थ Class 7 71 कबीर के दोहे कविता ,71 सीख भरे दोहे,सब धरती कागज करूं,सब धरती कागज करूं,सब धरती कागज करूं,सब धरती कागज करूं,सब धरती कागज करूं,सब धरती कागज करूं

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